राजस्थान की राजधानी जयपुर में हर किसी को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। यहां के एक निजी अस्पताल में बेटे की मौत के बाद उसका शव लेने के लिए पिता रातभर गिड़गिड़ाता रहा, मगर अस्पताल प्रबंधन का दिल नहीं पसीजा और इलाज के पेटे बकाया निकाले डेढ़ लाख रुपए जमा करवाने के बाद शव सुपुर्द किया।
झुंझुनूं जिले के बुहाना उपखंड के गांव कलाखरी निवासी सुरेश सैन ने बताया कि उसका बड़ा बेटा दीपक जयपुर के एक निजी अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ के रूप में कार्यरत था। दो माह पहले तीन अप्रैल को उसकी शादी हुई थी। घर पर किसी बात को लेकर गुस्साए दीपक ने 29 मई को फांसी का फंदा लगा लिया था।
इस पर पिता झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल लेकर आए। यहां से उसे जयपुर के एसएमएस अस्पताल में रैफर किया गया। वहां रातभर ठीक से इलाज नहीं होने पर सुरेश सैन ने अपने बेटे को दूसरे दिन सुबह छह बजे जयपुर स्थित संतोकबा दुर्लभजी हॉस्पिटल में रैफर करवाया।
दुर्लभजी अस्पताल में तीस मई से दीपक का इलाज चल रहा था। शुरुआती पांच-छह दिन में उसके स्वास्थ्य में सुधार हुआ। फिर तबीयत बिगड़ती चली गई और 16 जून को दोपहर ढाई बजे उसकी मौत हो गई।
सुरेश सैन ने बताया कि उसने 16-17 दिन में बेटे के इलाज पर पांच लाख रुपए खर्च कर दिए। एक स्कूल में छह हजार रुपए प्रतिमाह में चपरासी की नौकरी करने वाले सुरेश ने यह रकम भी कर्ज लेकर जुटाई थी। मुश्किल तो तब हुई जब बेटे की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के डेढ़ लाख रुपए और बकाया निकाल दिए।
सुरेश 16 जून की पूरी रात अस्पताल प्रबंधन के सामने बेटे का शव लेने के लिए गिड़गिड़ाता रहा। उसकी एक नहीं सुनी गई। सुबह उसने रिश्तेदार से डेढ़ लाख रुपए का इंतजाम करवाया और अस्पताल में जमा करवाए। तब अपराह्न साढ़े तीन बजे उसे बेटे का शव मिला, जिसका गांव में शाम को अंतिम संस्कार किया गया।
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