22 सितंबर, वर्ल्ड रोज डे के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को कैंसर पीड़ितों के मनोबल बढ़ाने और उनके अंदर फिर से जीने की उम्मीद जगाने की एक छोटी-सी कोशिश के तौर पर मनाया जाता है।
वर्ल्ड रोज डे की शुरुआत
यह दिन कनाडा में रहने वाली 12 वर्षीय मेलिन्डा रोज की याद में मनाया जाता है। मेलिन्डा रोज को साल 1994 में महज 12 साल की उम्र में ही बल्ड कैंसर हो गया था। मेलिन्डा कैंसर से आखिरी जंग लड़ रही थी। डॉक्टर्स ने भी कह दिया था कि वह 2 सप्ताह से ज्यादा जी नहीं पाएगी। लेकिन छोटी-सी बच्ची ने हार नहीं मानी और डॉक्टर्स को गलत साबित कर दिखाया।
मेलिन्डा करीब 6 महीने तक जिंदा रही। लेकिन फिर सिंतबर के महीने में इस बच्ची ने सबका साथ छोड़ दिया और इस दुनिया को अलविदा कह दिया। यह बच्ची जिस तरह से 6 महीने तक अपनी बीमारी से लड़ती रहती। यह बात सभी कैंसर से पीड़ित लोगों के एक मिसाल बन गई।