वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधानपीठ श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा में बुधवार को आषाढी तोल कर रखी गई। अगले दिन पुनः तोल कर वर्षफल निकाला जाएगा। ये परम्परा मंदिर में करीब साढे तीन सौ सालों से निभाई जा रही है। श्रद्धा और आस्था के केन्द्र पर निभाए जाने वाली इस परम्परा के निर्णय का क्षेत्र के लोगों को वर्षभर से इंतजार रहता है।
मंदिर के दिनेष पुरोहित ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर आषाढी तोली गई जिसमें 27 प्रकार की सामग्री को तोल कर रखा गया। इसमें 22 प्रकार के धान, गुड, नमक, काली मिट्टी, लाल मिट्टी व घास शामिल हैं। इन सभी सामग्री को गुरुवार को पुनः तोल कर देखा जाएगा। जिसके आधार पर आने वाले साल का वर्षफल निकाला जाएगा। आषाढी तोल के दौरान मंदिर के पुरोहित डॉ परेष नागर, खर्च भण्डारी सहायक फतहलाल गुर्जर भी मौजूद रहे।
मंदिर परिसर के खर्च भंडार में यह परम्परानुसार साढे तीन सौ सालों से पूरी की जा रही है। यहां विभिन्न प्रकार के जिंसों को सीक्के से तोला जाता है ओर पुनः अगले दिन इसे तोल कर सामग्री के कम ज्यादा होने से वर्षफल का अनुमान लगाया जाता है।
मंदिर के पुरोहित डॉ परेष नागर ने बताया कि खर्च भण्डार में कुल 27 प्रकार की सामग्री तोली गई ओर एक धान के कोटे (भंडार) में दबा कर रख दिया गया। इसमें मूंग हरा, मक्की सफेद, मक्की पीली, बाजरा, ज्वार, साल सफेद, साल लाल, चमला छोटा, चमला मोटा, तिल्ली सफेद, तिल्ली काली, उडद, मोठ, ग्वार, कपास्या, जव, गेहूं काठा, गेहूं चन्द्रेसी, चना पीला, चना लाल, सरसों पीली, सरसों लाल, गुड़, नमक, काली मिट्टी (मनुष्य के लिए) लाल मिट्टी (पशु के लिए) व घास शामिल है। कल सुबह शृंगार झांकी के दर्शन के समय पुनः तोला जाएंगा।
तोल के दौरान कमी ओर बढोतरी से यह अंदाजा लगाया जाएगा कि कौनसी फसल अच्छी होगी और कौन सी फसल की उपज कम होगी। पूरे वर्ष भर बारिश कैसी होगी। इसके अलावा श्रीनाथजी मंदिर में आषाढी तोल से मानव जीवन व पशुधन पर क्या असर पढेगा इसका अन्दाजा काली मिट्टी व लाल मिट्टी को तोल लगाया जाएगा।
खर्च भण्डार की महिमा-
खर्च भण्डार वो स्थान है जहां प्रभु श्रीनाथजी मंदिर बनने तक बिराजे थे। अभी यहां प्रभु की बनने वाली समस्त प्रकार की भोग सामग्री में काम आने वाले अनाज के भण्डार हैं। इसके अलावा यहां घी-तेल के कुएं भी हैं जो प्रसाद सामग्री में काम आते हैं।