Jhunjhunu Khabar जिलेभर के 600 चिकित्सकों ने कार्यबहिष्कार कर डॉ अर्चना शर्मा को न्याय दिलाने की मांग की गई

जिलेभर के 600 चिकित्सकों ने कार्यबहिष्कार कर डॉ अर्चना शर्मा को न्याय दिलाने की मांग की गई

अरिसदा अध्यक्ष डॉ एस ए जब्बार ने बताया कि अरिसदा के शीर्ष नेतृत्व के आह्वान पर स्व डॉ अर्चना शर्मा को न्याय दिलाने हेतु जिलेभर के चिकित्सकों ने ओपीडी का कार्यबहिष्कार किया गया।

महासचिव डॉ राजेन्द्र ढाका एवं उपाध्यक्ष डॉ जितेन्द्र भाम्बू ने बताया कि कार्यबहिष्कार के दौरान सरकारी अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं,प्रसव सेवाएं, आईसीयू, भर्ती रोगीयों को चिकित्सा सेवाएं जारी रहीं हैं।

प्रातः 11बजे बाद बीडीके अस्पताल के चिकित्सकों ने कलेक्ट्रेट के सामने सांकेतिक धरने में भाग लिया।
तथा अरिसदा उपाध्यक्ष डॉ जितेन्द्र भाम्बू ने धरनास्थल पर उपस्थित चिकित्सकों को संबोधित करते हुए बताया कि
-चिकित्सको को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कठोर कानून बनाया जाना चाहिए।
-अस्पताल के सामने शव रखकर मौताणा मांगने की प्रथा को कानून जूर्म घोषित करना चाहिए।तथा ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान किया जाए।
-चिकित्सको को कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट से मुक्त किया जाए
-लापरवाही के केसेज को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर विधिसम्मत धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए।
-लापरवाही के केसेज मिडिया में प्रदर्शित करने पर विशेषज्ञ चिकित्सक की राय भी साथ में प्रदर्शित की जाए।
अरिसदा अध्यक्ष डॉ एस ए जब्बार ने बताया कि सोमवार की रणनीति देर रात अरिसदा के शीर्ष नेतृत्व के आधार पर किया जाएगा।
ईस दौरान अध्यक्ष डॉ एस ए जब्बार, महासचिव डॉ राजेन्द्र ढाका, उपाध्यक्ष डॉ जितेन्द्र भाम्बू
, डॉ जुगलाल बुडानिया, डॉ नरेन्द्र काजला, डॉ कैलाश राहड़, डॉ रजनेश माथुर, डॉ रामस्वरूप पायल, डॉ जगदेव सिंह ने भी धरना स्थल को संबोधित किया।
आईएमए सचिव डॉ लालचंद ढाका, अध्यक्ष डॉ विजेन्द्र सिंह, उपचार अध्यक्ष कुंदन सिंह , डॉ महावीर मील, डॉ करण बेनीवाल, डॉ कमल चंद सैनी आदि ने अपने पुराने अनुभव युवा चिकित्सकों से शेयर किए।
महिला चिकित्सक डॉ अर्षा चौधरी, डॉ नीलम केडिया, डॉ संगीता, डॉ सुमन मान कटेवा, डॉ स्मिता तोमर, डॉ पल्लवी, डॉ प्रियंका बुडानिया, डॉ प्राची कटारा, डॉ कमलेश कटेवा, डॉ पुष्पा रावत, डॉ मधु वर्मा, डॉ प्रमोद गढवाल आदि ने संबोधित किया एवं बताया कि गर्भवती महिलाओं में पीपीएच एवं एनीमिया से मृत्युदर काफ़ी ज़्यादा है। परंतु विगत वर्षों में मातृ मृत्यु दर घटकर 7 तक आ गयी है।पीपीएच में मृत्यु दर हार्ट अटैक के लगभग बराबर है। चिकित्सा विज्ञान में बताए गये कोम्लिकैशन को पूर्णतया रोक पाना मुश्किल है।
धरना स्थल पर लगभग 250-300 चिकित्सक उपस्थित रहे।तथा डॉ अर्चना शर्मा को न्याय दिलाने की मांग की गई।

उपस्थित चिकित्सकों में डॉ राहुल सोनी, डॉ श्यामलाल, डॉ मनीराम, डॉ संजय खीचड़, डॉ प्रशांत गिल ,डॉ पवन गहलोत ,डॉ नरेंद्र वर्मा ,डॉ प्रशांत, डॉ रिंकू डॉ कपिल तेतरवाल, डॉ राजेश चौहान डॉ कपिल झाझरिया ,डॉ वरुण डॉ संदीप दुबे, डॉ सीमा शर्मा, डॉ अनिल शर्मा, डॉ देवेंद्र सैनी, डॉ हितेश सोनी, डॉ राजेश कटेवा, डॉ रविंद्र शेखावत, डॉ राजीव कटारा, डॉ अभिषेक, डॉ दीपक खदेड़,डॉ सुनील पूनिया,डॉ सुनील सैनी, डॉ रंजीत गौरा चौहान ,डॉ अनिल राव,डा रतन सोनी डॉ अमित उदयपुरिया,डॉ अशोक चौधरी डॉ प्यारेलाल डॉ सुभाष सैनी, डॉ नरेंद्र जांगिड़, डॉ पुष्पेंद्र बुडानिया, डॉ वीर सिंह झाझडिया, डॉराजेंद्र गजराज, डॉ श्रीराम दुलड, दिनेश कुमार, डॉ हरलाल नेहरा, डॉशक्ति सिंह,डॉ जगदेव डॉ संदीप बेनीवाल,डॉ सुरेश मील,डॉ सिद्धार्थ शर्मा, डॉअरुण, डॉ नरेंद्र शर्मा, आनंद बुडानिया,डॉ संतोष ढाका, डॉ प्रियंका बुडानिया , डॉ प्रियंका चौधरी,डॉसीमा शर्मा सुमन भालोठिया ,डॉ उर्मिला चौधरी, संगीता उदयपुरिया आदि रहे।