जोधपुर के एमडीएम अस्पताल की मोर्च्यूरी में बुधवार को एक बार फिर डेड बॉडी बदल गई। जोधपुर के एक व्यक्ति की मौत होने पर उसके परिजनों को पाली जिले के रोहट निवासी एक व्यक्ति का शव सौंप दिया। जोधपुर में व्यक्ति की अंतिम यात्रा रवाना होती उससे पहले रोहट के लोगों को पता चल गया और वे वहां जा पहुंचे। काफी जद्दोजहद के बाद वे शव को वापस मोर्चरी लेकर पहुंचे। बाद में दोनों मृतकों के परिजनों को शव सौंपे गए। गत माह 26 जून को एमडीएम मोर्चरी से इसी तरह डेड बॉडी बदल गई थी। उस समय तो परिजनों के पहुंचने से पहले अंतिम संस्कार तक हो गया था।
जोधपुर के राइका बाग क्षेत्र निवासी मानसिंह(32) एक सड़क हादसे में घायल हो गया था। उसकी आज सुबह एमडीएम अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं दो दिन पूर्व रोहट से पाली जाते समय बस से टकरा कर रामेश्वरलाल की कार पलट गई थी। इस हादसे में उनकी परिजन प्रेमलता व भाई घायल हो गए। जबकि रामेश्वरलाल(52) को अधिक चोट आने पर इलाज के लिए जोधपुर लाया गया था। कल रात इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। आज सुबह करीब 11 बजे मानसिंह के परिजन आए और मोर्च्यूरी की कागजी प्रक्रिया पूरी कर शव ले गए। इसके थोड़ी देर बाद रोहट से रामेश्वरलाल के परिजन पहुंचे। वे मोर्च्यूरी में पहुंचे तो वहां रामेश्वरलाल का शव नहीं मिला। इस पर उन्होंने विरोध किया। उनकी वहां मौजूद कर्मचारियों से तकरार हो गई। थोड़ी देर में मानसिंह का शव पहुंचाने वाला एम्बुलेंस ड्राइवर वहां पहुंचा। उसे लेकर रामेश्वरलाल के परिजन मानसिंह के घर पहुंचे। वहां अंतिम यात्रा की तैयारी चल रही थी। शव यात्रा रवाना होने से पहले पहुंचे इन लोगों ने मानसिंह के परिजनों को शव बदलने की सूचना दी, लेकिन वे यह मानने को तैयार ही नहीं हुए। काफी देर तक समझाइश का दौर चला। आखिरकार वे लोग माने। इसके बाद रामेश्वरलाल के शव को एम्बुलेंस में रख वापस सभी लोग मोर्च्यूरी पहुंचे। मोर्च्यूरी में रखे मानसिंह के शव को उसके परिजनों को सौंपा गया। वहीं रामेश्वरलाल के परिजन उनका शव लेकर रोहट गए।
परिजनों ने स्वीकार की अपनी गलती
एमडीएम अस्पताल अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित का कहना है कि डेड बॉडी परिजनों को दिखाने के साथ उनकी और से शिनाख्त करने के बाद सौंपी जाती है। आज भी ऐसा ही किया गया। मानसिंह के परिजनों ने गलत बॉडी को अपना बता दिया। बॉडी को वापस लाए जाने के बाद उन्होंने लिखित में अपनी गलती को स्वीकार किया।
गत माह भी बदला था शव
एमडीएम अस्पताल में शव बदले जाने की यह कोई पहली घटना नहीं है। तीन वर्ष में ऐसी चार घटनाएं हो चुकी है। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन या पुलिस ने शव सौंपने की व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया। गत माह 25 जून को जालोर के एक व्यक्ति का शव जोधपुर के अपना घर में लावारिस मरे व्यक्ति के स्थान पर हिन्दू सेवा मंडल को सौंप दिया गया। जालोर से मृतक के परिजन यहां पहुंचे तब तक उसका अंतिम संस्कार हो चुका था। मृतक का भाई कफन लिए मोर्च्यूरी के बाहर घंटों तक भाई का शव मिलने का इंतजार करता रहा। आखिरकार से लेकर मुकदमा भी दर्ज हुआ।