Captain Sandhya Mahla कैप्टन संध्या महला भारतीय सेना की पहली महिला टुकड़ी कमांडर
कैप्टन संध्या महला: भारतीय सेना में महिला नेतृत्व की मिसाल
देश को सर्वाधिक शहीद व सैनिक देने वाले झुंझुनूं जिले ने एक और इतिहास रच लिया है। भारतीय सेना की अधिकारी कैप्टन संध्या महला राजस्थान के झुंझुनूं जिले के मुरोत का बास की बेटी हैं। 2025 के सेना दिवस परेड (15 जनवरी) में उन्होंने महिला सैन्य टुकड़ियों की कमान संभालकर इतिहास रचा। यह उपलब्धि सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता और सशक्तिकरण का सशक्त संदेश है।
संक्षिप्त परिचय
पूरा नाम: कैप्टन संध्या महला
जन्मस्थान/मूल: मुरोत का बास, झुंझुनूं, राजस्थान
पिता: सूबेदार कुरडाराम महला (भारतीय सेना में ~38 वर्ष की सेवा)
माता: विनोद देवी
शिक्षा:
आर्मी पब्लिक स्कूल, जालंधर — 10वीं व 12वीं
दिल्ली विश्वविद्यालय, शिवाजी कॉलेज — B.Sc. (Chemistry Hons.)
गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर — M.Sc. (Chemistry)
उपलब्धि: 2025 के सेना दिवस परेड में दो महिला टुकड़ियों (कुल ~148 महिला सैनिक, त्रि-सेवाएँ) का नेतृत्व
पिता से मिली प्रेरणा: वर्दी का सपना
संध्या के पिता सूबेदार कुरडाराम महला ने लगभग 38 वर्षों तक देश की सेवा की। उनके अनुशासन, देशभक्ति और समर्पण ने संध्या के मन में बचपन से ही वर्दी पहनने का सपना बो दिया। परिवार के सहयोग और संस्कारों ने संध्या को निर्धारिता, परिश्रम और नेतृत्व के मूल्य सिखाए—जो आगे चलकर उनकी सबसे बड़ी ताकत बने।
शिक्षा से सैन्य पथ तक
स्कूली शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल, जालंधर से पूरी करने के बाद संध्या ने शिवाजी कॉलेज (DU) से Chemistry Hons. और GNDU, अमृतसर से M.Sc. Chemistry की। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने सेना में जाने की तैयारी जारी रखी—SSB की चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया से वे कई प्रयासों के बाद सफल होकर निकलीं। यह धैर्य बताता है कि हार नहीं मानना ही जीत का पहला कदम है।
सेना दिवस 2025: इतिहास रचने का क्षण
15 जनवरी 2025 को आयोजित सेना दिवस परेड में कैप्टन संध्या महला ने दो महिला सैन्य टुकड़ियों का नेतृत्व किया। लगभग 148 महिला सैनिकों—जिनमें तीनों सेनाओं की महिलाएँ शामिल थीं—की परेड कमान संभालना भारतीय सेना के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
> यह क्षण आने वाली पीढ़ियों की युवतियों के लिए संदेश है: यदि लक्ष्य स्पष्ट है और प्रयास निरंतर, तो सीमाएँ टूटती हैं।
क्यों खास है यह उपलब्धि?
पहली महिला टुकड़ी कमांडर के रूप में नेतृत्व—परंपरागत बाधाओं को तोड़ना।
त्रि-सेवा प्रतिनिधित्व—तीनों सेनाओं की महिला शक्ति का एकजुट प्रदर्शन।
रोल मॉडल प्रभाव—ग्रामीण पृष्ठभूमि से राष्ट्रीय मंच तक का सफर, लाखों छात्राओं के लिए प्रेरणा।
परिवार और समाज की भूमिका
संध्या की यात्रा बताती है कि परिवार का भरोसा, शिक्षकों का मार्गदर्शन और समाज का प्रोत्साहन—यह तीनों मिलकर किसी भी युवा के सपनों को दिशा दे सकते हैं। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, सकारात्मक रोल मॉडल का प्रभाव दूरगामी होता है।
प्रेरक संदेश
कैप्टन संध्या महला की कहानी हौसले, मेहनत और अनुशासन की कहानी है। उन्होंने दिखाया कि इच्छाशक्ति और निरंतर प्रयास से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। वे आज महिला सशक्तिकरण की सशक्त प्रतीक हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श।
निष्कर्ष
कैप्टन संध्या महला की उपलब्धियाँ सिर्फ व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि भारतीय सेना में महिलाओं की बढ़ती भूमिका की गूंज हैं। उनकी यात्रा हर उस युवा को प्रेरित करती है जो देश-सेवा और वर्दी का सपना देखता/देखती है।
