दुष्कर्म के मामले में बीस वर्ष की सजा: कोर्ट ने कहा, दुष्कर्म गंभीर अपराध नरमी बरते जाने से समाज में जाएगा गलत संदेश

जोधपुर जिले के भोपालगढ़ क्षेत्र में दो वर्ष पूर्व एक नाबालिग को घर से ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म के मामले में पॉक्सो एक्ट कोर्ट ने आज आरोपी को बीस वर्ष की कठोर सजा से दंडित किया है। फैसला सुनाते समय कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म के एक गंभीर अपराध है। समाज में ऐसे अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। इनके खिलाफ नरमी बरती जाने से गलत संदेश जाएगा कि कोर्ट अपराध को सपोर्ट कर रहा है। ऐसे में दुष्कर्म के इस मामले में आरोपी के प्रति किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जा सकती।

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पीड़िता के पिता ने 24 जून 2020 कोभोपालगढ़ थाने में मामला दर्ज कराया था कि आज सुबह साढ़े पांच बजे महेश सैन नाम का युवक उसका पंद्रह वर्षीय नाबालिग पुत्री को घर से उठा ले गया। महेश को बाइक चलाना नहीं आता है। ऐसे में वह बाइक चलाने के लिए एक नाबालिग को साथ में लेकर आया। बाद में महेश के घर जाकर पूछताछ करने पर पता चला कि वह अपने घर पर बोलकर निकला कि जयपुर जा रहा है। पुलिस ने पांच जुलाई को नाबालिग को दस्तयाब कर लिया। साथ ही महेश को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं नाबालिग को बाल सुधार गृह भेज दिया गया। इस मामले में पुलिस ने 24 अक्टूबर 2020 को कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। पॉक्सो कोर्ट के पीठासीन अधिकारी अनिल आर्य के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई। महेश की तरफ से उसके अधिकवक्ता ने तर्क दिया कि वह गरीब परिवार का सदस्य है और उसका पहला ही अपराध है। साथ ही कहा गया कि यह मामला प्रेम प्रसंग का होकर आपसी सहमति से जुड़ा है। ऐसे में उसके प्रति नरमी बरती जाए। वहीं पीड़िता की तरफ से कहा गया कि आरोपी महेश नरमी बरते जाने का हकदार नहीं है। उसे कठोर सजा दी जानी चाहिये। दोनों पक्ष को सुनने के बाद पीठासीन अधिकारी अनिल आर्य ने कहा कि महेश नाबालिग सोलह वर्षीय को कई स्थान पर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। यह एक गंभीर अपराध है। ऐसे अपराधी के प्रति नरमी बरते जाने से गलत संदेश जाएगा। ऐसे में उन्होंने अलग-अलग धाराओं में दर्ज मामले के अनुसार उसे दो धाराओं में बीस-बीस वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई।