भारत से सिंगापुर 5 देशों की साइकिल यात्रा कर लौटे झुंझुनूं के जैरी| India to Singapore Cycling …

Jhunjhunu News पांच देशों की यात्रा कर आज झुंझुनूं पहुंचे जैरी, पर्यावरण बचाने का दिया संदेश जैरी चौधरी की झुंझुनू की नई पहल

झुंझुनूं जिले के बुडानिया गांव के रहने वाले जैरी चौधरी साइकिल से भारत से सिंगापुर तक जाकर एक नया रिकॉर्ड अपने नाम किया है।

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इस दौरान जैरी पांच देशों भारत, म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर की यात्रा साइकिल से तय की। करीब सात हजार किलोमीटर की दूरी तय करने में उन्हें 101 दिन का समय लगा । जैरी चौधरी गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन के बाद 16 अक्टूबर को यात्रा की शुरुआत की थी और 24 जनवरी 2023 को यात्रा पूरी हुई। जैरी ने दावा किया कि वे जिले के पहले युवा हैं। जो साइकिल से पांच देशों की यात्रा पर निकला है। उसने इससे पहले कश्मीर से कन्याकुमारी का सफर साइकिल से पूरा किया है।

इस सफर में उन्हें अपने परिजनों का साथ मिला। दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए ऑनर्स अंग्रेजी की पढ़ाई कर चुके जैरी ने बताया कि फौजी पिता राजेन्द्र सिंह झाझडिया, मां किरण व रिटायर्ड फौजी दादा सांवलराम का पूरा सहयोग रहता है। कश्मीर से कन्याकुमारी व राजस्थान में साइकिल यात्रा निकाल चुके जैरी ने बताया कि साइकिल यात्रा का उसका मुख्य उद्देश्य आमजन को फिट रखने व पर्यावरण बचाने का संदेश देना है। यदि लोग बीमार कम पड़ेंगे तो दवा पर होना वाला खर्च बचेगा। यह पैसा देश के विकास में लगेगा।

जैरी ने बताया कि देश में अनेक लोग साइकिल चलाना चाहते हैं। लेकिन भारत में कहीं भी साइकिल ट्रेक नहीं है। राजमार्गों के बराबर अलग से साइकिल ट्रैक बनाने चाहिए। जिस पर केवल साइकिल चलाने की ही अनुमति हो । नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम की तर्ज पर केन्द्र व राज्य सरकारों को इस तरफ सोचना चाहिए।

जैरी चौधरी कश्मीर से कन्याकुमारी तक की साइकिल यात्रा कर चुके है। जैरी ने 3 नवम्बर 2021 को कश्मीर के लाल चैक से साइकिल यात्रा शुरू की थी। इसके बाद पांच जनवरी 2022 को करीब चार हजार किलोमीटर का सफर कन्याकुमारी पहुंचकर पूरा किया। इस दौरान जैरी ने गांवों व कस्बों के स्कूलों में व रास्ते में लोगों को साइकिल चलाने के प्रति जागरूक था। जैरी ने बताया कि सफर के दौरान सबसे ज्यादा समस्या भाषा की रहती है। हर प्रदेश की भाषा अलग होती है। ऐसे में लोगों से बात करने में दिक्कत आती है। कई राज्य ऐसे आए जहां मेरी भाषा वे नहीं समझ सके और मैं उनकी नहीं समझ सका। कई जगह भोजन की समस्या भी आई।