Right to Health Bill : जयपुर में डॉक्टरों की महारैली का आयोजन

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन 27 मार्च को देशभर में ब्लैक डे मनाने की घोषणा की है। 27 मार्च को देशभर के डॉक्टर राजस्थान के डॉक्टरों के समर्थन में काली पट्टी बांध कर विरोध जाएंगे। यानी अब राजस्थान के डॉक्टरों का आंदोलन देशव्यापी हो रहा है।

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राइट टू हेल्थ बिल (Right To Health Bill ) के विरोध में निजी अस्पताल संचालकों, चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ के साथ अब उनके परिजन और रिश्तेदार भी शामिल होंगे। सोमवार को आईएमए के आह्वान पर जयपुर में होने वाली महारैली में शामिल होकर आरटीएच RTH बिल का विरोध जताएंगे।

पूर्व पीएमओ डॉ. शुभकरण कालेर ने बताया कि जिले के 115 निजी अस्पताल संचालकों के साथ निजी चिकित्सक, नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ के साथ निजी डायग्नोस्टिक सेंटर एवं उनके कार्मिक बिल के विरोध में पूरी तरह से हड़ताल पर है।

सोमवार को जयपुर में होने वाली महारैली में अब निजी अस्पताल संचालकों व चिकित्सकों के साथ नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ के परिजन और रिश्तेदार भी महारैली में शामिल होकर बिल का विरोध प्रदर्शन करेंगे

27 मार्च को मेडिकल सर्विस बंद करने का ऐलान

बिल का विरोध अब राज्य के अलावा देशभर में होने जा रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने सभी डॉक्टरों से 27 मार्च को मेडिकल सर्विस बंद करने का आह्वान किया है।

आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शरद अग्रवाल ने आंदोलन को समर्थन देते हुए 27 मार्च को संगठन से जुड़े सभी डॉक्टरों से देशभर में बंद का आह्वान किया है।

प्राइवेट हॉस्पिटल एवं नर्सिंग होम सोसाइटी के सचिव डॉ. विजय कपूर ने बताया कि 27 मार्च को जयपुर में महारैली निकाली जाएगी। प्रदेशभर के डॉक्टर्स इसमें शामिल होंगे।

21 मार्च को विधानसभा में बिल हुआ था पास

बीजेपी के तमाम विरोध और हो-हल्ला के बीच राजस्थान विधानसभा में राइट टू हेल्थ (स्वास्थ्य के अधिकार) बिल 21 मार्च को पास हो गया था। इसी के साथ राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बना है, जहां राइट टू हेल्थ बिल पारित हुआ है। सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल इलाज से अब मना नहीं कर सकेंगे। यहां के हर व्यक्ति को इलाज की गारंटी मिलेगी।

इमरजेंसी की हालत में प्राइवेट हॉस्पिटल को भी फ्री इलाज करना होगा। प्राइवेट हॉस्पिटल में इमरजेंसी में फ्री इलाज के लिए अलग से फंड बनेगा। ऐसे मामलों में किसी भी तरह की हॉस्पिटल स्तर की लापरवाही के लिए जिला और राज्य स्तर पर प्राधिकरण बनेगा। इसमें सुनवाई होगी। दोषी पाए जाने पर 10 से 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है।