Surya Grahan 2022: आज है साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, जानें सूतक काल, ग्रहण समय …

जयपुर. दीपोत्सव के अगले दिन गोवर्धन पूजा की पंरपरा है, लेकिन मंगलवार को खंडग्रास सूर्य ग्रहण (Khandagras Solar Eclipse) के कारण गोवर्धन पूजा नहीं हो सकी. अबकी करीब 150 साल बाद यह परंपरा टूटी है. ऐसे में अब मंगलवार की जगह बुधवार को गोवर्धन पूजा होगी.

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भारत में सूर्य ग्रहण सबसे अधिक पौने दो घंटे ही नजर आएगा. वहीं, राजस्थान के जैसलमेर में सबसे अधिक एक घंटा, 17 मिनट, 8 सेकंड तक सूर्य ग्रहण रहेगा.

25 अक्टूबर दिन मंगलवार को दिवाली के अगले दिन लगने वाला है लेकिन ग्रहण का सूतक काल आज रात से ही लग जाएगा यानी इसका सूतक काल 12 घंटे पहले शुरू हो जाएगा। भारत में दिखाई देने की वजह से इसका सूतक काल मान्य होगा। जिसकी वजह से ग्रहण से संबंधित सभी धार्मिक मान्यताओं का पालन किया जाएगा। सूर्य ग्रहण मंगलवार को 11 बजकर 28 से शुरू हो जाएगा और शाम 06 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। लेकिन भारत में यह ग्रहण 04 बजकर 22 से दिखना शुरू हो जाएगा और 05 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। भारत में ग्रहण का मोक्षकाल सूर्यास्त के साथ ही हो जाएगा। ग्रहण में सूरज का 36.93 फीसदी भाग चंद्रमा तक ढका रहेगा।

ग्रहण में क्या करें और क्या न करें?

जब भी कोई ग्रहण लगता है उसके पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है। सूर्यग्रहण होने पर 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण लगने पर 5 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। सूतक काल को अशुभ माना गया है इसलिए सूतक लगने पर पूजा-पाठ,धार्मिक अनुष्ठान और शुभ काम नहीं किए जाते हैं। मंदिर के पट बंद दो जाते हैं। ग्रहण में न तो खाना पकाया जाता है और न ही खाना खाया जाता है। ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप और ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान और दान किया जाता है। ग्रहण की समाप्ति होने पर पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव किया जाता है।

क्या न करें

ग्रहण के दौरान कभी भी कोई शुभ काम या देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए।

ग्रहण के दौरान न ही भोजन पकाना चाहिए और न ही कुछ खाना-पीना चाहिए।

ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं का ग्रहण नहीं देखना चाहिए और न ही घर से बाहर जाना चाहिए। 

ग्रहण के दौरान तुलसी समेत अन्य पेड़-पौधों नहीं छूना चाहिए।

 

क्या करें

ग्रहण शुरू होने से पहले यानी सूतक काल प्रभावी होने पर पहले से ही खाने-पीने की चीजों में पहले से तोड़े गए तुलसी के पत्ते को डालकर रखना चाहिए।

ग्रहण के दौरान अपने इष्ट देवी-देवताओं के नाम का स्मरण करना चाहिए।

ग्रहण के दौरान इसके असर को कम करने के लिए मंत्रों का जाप करना चाहिए।

ग्रहण खत्म होने पर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।

यानी अब अन्नकूट 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा. कार्तिक मास में खासकर मंगलवार को ग्रहण लगने से अग्निकांड, भय की घटनाओं की संभावना प्रबल होती है. वहीं, सूर्य ग्रहण स्वाति नक्षत्र और तुला राशि पर हो रहा है. ऐसे में यह ग्रहण तुला राशि के साथ कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वाले जातकों के लिए शुभ नहीं है.

इधर, 150 सालों के बाद दीपावाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा नहीं हो सकी. आखिरी बार 1995 में गोवर्धन पूजा पर सूर्य ग्रहण लगा था, लेकिन तब दिन में ही ग्रहण लगा था. ऐसे में शाम को गार्वधन पूजा हो गई थी. लेकिन अबकी सूर्यास्त होने के कारण गार्वधन पूजा नहीं होगी.