एमएड डिग्री धारकों द्वारा सरकार से रोजगार की माँग
एमएड संघर्ष समिति, राज स्ववित्तपोषित महाविद्यालय शिक्षक महासंघ एंव शिक्षक प्रशिक्षक प्रगतिशील समिति के संयुक्त तत्वाधान में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर शिक्षा शास्त्र विषय की मांग की गई। जयपुर में शहीद स्मारक पर तकरीबन 50 से अधिक संख्या में विभिन्न जिलों से आये प्रतिनिधि एकत्रित हुए एंव माँग नही माने जाने पर जल्द ही प्रदेश स्तरीय आंदोलन शुरू करने का संकल्प लिया। एमएड संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्री रामबाबू जांगिड़ ने बताया कि राजस्थान में पिछले कई सालों से एम एड की डिग्री करवाई जा रही है लेकिन सरकारी सेवाओं में आज तक इसका कोई उपयोग नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि राजस्थान में संचालित सभी डाइट के साथ डीएलएड कॉलेजों में योग्यता धारी स्टाफ नहीं है और डाइट्स में एनसीटीई के मानदंडों के अनुसार कभी कोई भर्ती नही हुई है। इसलिए इन कॉलेजों में योग्यताधारियों की सीधी भर्ती की जाए, तथा समस्त राजकीय महाविद्यालयों में 4 वर्षीय एकीकृत बीए बीएड, बीएससी बीएड पाठ्यक्रम शुरू किया जाए तथा स्कूल व कॉलेज शिक्षा में शिक्षा शास्त्र विषय शुरू किया जाए। जिससे एम एड डिग्री धारकों के साथ न्याय हो सके एंव उच्च माध्यमिक व स्नातक स्तर से ही शिक्षा शास्त्र विषय पढ़ने की सुविधा राजस्थान के विद्यार्थियों को मिल सके। एमएड डिग्री धारियों द्वारा अखिल राजस्थान स्तर पर ज्ञापन के माध्यम से ये मांग की जा रही है। अब तक कलेक्टर, तहसीलदार, विधायक, सांसद, नेता प्रतिपक्ष आदि के माध्यम से सभी जिलों से लगभग 70 से अधिक ज्ञापन सौंपे जा चुके है। पदाधिकरियो द्वारा एनसीटीई द्वारा मानकों पर खरा न उतरने के कारण बंद किये गए 5 राजकीय बीएड कॉलेजो को पुनः खोलने एंव डाइट्स व आईएएसई में स्कूली शिक्षको की प्रतिनियुक्तिया बन्द कर सीधी भर्ती की माँग की गई। इसके अतिरिक्त कृषि, योग, पुलिस, पत्रकारिता जैसे विश्वविद्यालय मौजूद है लेकिन 1600 से अधिक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय होने के बावजूद कोई शिक्षा विश्वविद्यालय न होने से राजस्थान में पाठ्यक्रम आदि में कोई एकरूपता नही है।
उपेक्षाओं का अंबार
इसे चाहे सरकार की उपेक्षा कहे या नीतियों में विसंगति प्रदेश के हज़ारो एमएड डिग्री धारक युवा पिछले काफी वर्षो से रोजगार को तरस रहे है। प्रदेश में इन एमएड डिग्री धारकों के लिए सरकारी नोकरी में अवसर आज तक शून्य है। मजबूरी वश उन्हें अपने जीवन यापन के लिए केवल निजी कॉलेजो की और रुख करना होता है। इन निजी कॉलेजो में अत्यधिक शोषण है। जहाँ न एनसीटीई व राज्य सरकार के निर्धारित मानक अनुसार वेतनमान मिल रहा है एंव न ही जॉब सिक्योरिटी। प्रदेश में इस समय बीस हजार से अधिक एमएड धारक है। राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष लगभग 68 एमएड कॉलेजो से प्रति वर्ष दो हजार से अधिक प्रशिक्षणार्थी एमएड की डिग्री प्राप्त कर रहे है। लेकिन शिक्षा विभाग की नीतियों के चलते शिक्षाशास्त्र विषय मे एमएड डिग्री धारक, पीएचडी व नेट करने के बावजूद सरकारी स्कूलों व कॉलेजो में पढ़ाने योग्य नहीं है।
विभिन्न 33 जिलों से डॉ. मोनू सिंह गुर्जर, डॉ. प्रभु दयाल झुंझुनू, अमित चौधरी झुंझुनू, डॉ. प्रशान्त, डॉ. ममता शर्मा, डॉ. प्रेमलता यादव, डॉ. बबीता वैष्णव, प्रेरणा, डॉ. भागीरथ, डॉ. आर एस मिश्रा, डॉ. सीएम सारस्वत, कृष्ण कुमार, महावीर प्रसाद, राकेश कड़ेला, भरत जांगिड़, उपदेश मीणा, प्रवीण, महेंद्र, मुकेश मीणा, डॉ. राजकुमार, गोपाल टेलर, अश्विनी पारीक, अनिल पारगी, लल्लूराम, अर्जुन लाल आदि लगभग 50 से अधिक प्रतिनिधि मौजूद रहे।