नहीं रहे शेखावाटी के कोहिनूर डॉक्टर दयाशंकर बावलिया

शेखावाटी के जाने-माने नेत्र चिकित्सक डॉक्टर दयाशंकर बावलिया का इलाज के दौरान जयपुर में हुआ निधन की खबर सुनते ही झुंझुनू जिले सहित पूरे शेखावाटी क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। डॉक्टर दयाशंकर बावलिया पूरे शेखावाटी क्षेत्र में जहां नेत्र रोग विशेषज्ञ के तौर पर जाने जाते थे वहीं अनेक धार्मिक संस्थाओं से जुड़े होने के साथ ही आर एस एस के स्थाई स्तंभ थे। उनके निधन की सूचना से झुंझुनू शहर में माहौल गमगीन हो गया वहीं डॉक्टर दयाशंकर बावलिया को लोग एक ऐसे चिकित्सक के रूप में मान्यता देते हैं की आधी बीमारी तो उनके दर्शन मात्र से ही समाप्त हो जाती थी। हमेशा हंसमुख,सीधे और सरल स्वभाव के चिकित्सक होने के साथ ही एक समाजसेवी के रूप में पूरे जिले भर में विख्यात थे डॉक्टर बावलिया।डॉ बावलिया को अपने समय में नेत्र चिकित्सा विज्ञान में पूरे शेखावाटी क्षेत्र सहित अन्य प्रदेशों के असंख्य ऐसे लोगों की नेत्र चिकित्सा के रूप में जाना जाता रहा है जिन्हें हर जगह से निराशा हासिल हुई हो उन्हें आशा की किरण कहे या कुदरत का वरदान जो भी मरीज डॉक्टर दयाशंकर बलिया के पास नेत्र संबंधी रोगों के लिए आया वह निराश होकर नहीं गया। लगभग 30 वर्षों तक झुंझुनू में नेत्र विशेषज्ञ के रूप में सेवाएं देने वाले डॉक्टर बावलिया के पास हर समय जहां नेत्र रोगियों की भीड़ रहती थी वहीं समाज के प्रबुद्ध लोग भी समय-समय पर उनसे विभिन्न सामाजिक गतिविधियों के लिए विचार विमर्श करने के लिए भी उत्सुक रहते थे। यही कारण है कि आज डॉक्टर बावलिया के इस जहां से रुखसत हो जाने से लोगों का मानना है कि शेखावाटी ने एक कोहिनूर को खो दिया है।उनकी कमी को कोई दूसरा पूरा करने वाला नहीं हो सकता। डॉक्टर  बावलिया जहां नेत्र रोग विशेषज्ञ रहे वहीं अनेक नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टरों को शेखावाटी में नेत्र रोग के बारे में पारंगत करने में भी पीछे नहीं रहे।आज उनके शिष्य शेखावाटी में हर जगह उनसे प्रेरणा व उनके मार्गदर्शन में कार्यकुशलता के हुनर सीखकर उनके द्वारा बताए मार्ग पर चल कर डॉ बावलिया का नाम रोशन कर रहे हैं।

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