नोटिस देकर इतिश्री: निगम ने 37 अवैध निर्माण चिह्नित कर सीज 2 ही किए नतीजा- जी+1 की इजाजत ले बन गई बी+जी+3 इमारत

नगर निगम पर कार्यशैली पर लगातार सवाल उठने के बावजूद कोई सुधार होता नहीं दिख रहा। उत्तर निगम में तो अवैध निर्माणों की भरमार है। फिर भी निगम के अधिकारी बिना अनुमति या अवैध निर्माण पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। वे केवल डीओ नाेटिस देकर उत्तर मांगते हैं। नोटिस का जवाब नहीं आने पर भी बार-बार नोटिस ही दिए जाते हैं।

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तब तक अवैध निर्माण शुरू होकर पक्के मकानों व व्यवसायिक इमारतों में बदल जाते है। अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने या पेनल्टी लगा सीज करने जैसी काेई कार्रवाई नहीं होने से मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एेसा ही ताजा उदाहरण फिर सामने आया है।

दरअसल, 2 माह पूर्व अतिक्रमण विंग की टीम ने शहर के भीतरी इलाकाें के 15 वार्डाें में हाे रहे 37 निर्माण ढंढ़े, जाे बिना इजाजत, अवैध और नक्शे के विपरीत चल रहे थे। इस पर निगम की ओर से कोई जवाब नहीं आया।

फिर दैनिक भास्कर ने इन 37 अवैध निर्माण काे लेकर खबर प्रकाशित की ताे बड़ी मुश्किल से 37 में से सिर्फ 2 काे ही सीज याेग्य माना, कार्रवाई कर सीज किए। शेष अवैध निर्माणों की अनदेखी की गई। इसका नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे अवैध निर्माण पूरे हो गए और आज उन पर व्यवसायिक गतिविधियां चल रही है।

15 वार्डों में बिना इजाजत हो गए 15 निर्माणवार्ड 37 में खड़ी हुई व्यावसायिक इमारत

नगर निगम उत्तर की ढीली कार्यशैली का नतीजा दाे माह बाद सामने आया। भीतरी शहर में 15 वार्डाें में 15 नए निर्माण हुए, जिसमें किसी ने भी निर्माण की इजाजत नहीं ली। वार्ड 37 में दाे भाईयाें ने निगम उत्तर की एकल खिड़की से 20 फीट की सड़क पर छाेटे भूखंड पर बी+जी की इजाजत ली,

लेकिन मौके पर बी+जी+3 की बहुमंजिला व्यावसायिक इमारत खड़ी कर दी, लेकिन इस निर्माण के खिलाफ सफाई प्रभारी से लेकर जेईएन व उपायुक्त ने कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की, सिर्फ आंखें मूंदकर सब कुछ देखते रहे। शिकायत हुई भी ताे निगम उत्तर के वार्ड संख्या 37 में माणक चौक स्थित अमर चौक निवासी निर्माण करने वाले दोनों भाईयों को 10 जुलाई को डीओ नोटिस जारी हुआ।

नोटिस में अवैध निर्माण का ब्यौरा, कार्रवाई नहीं
निगम उत्तर के मुख्य प्रवर्तन अधिकारी ने नोटिस दिया, जिसमें कहा कि भूखंड स्वामियों द्वारा अवैध रूप से भवन को तोड़कर व्यावसायिक निर्माण कार्य किया जा रहा है, जो गैर कानूनी हैं। इस संबंध में भवन निर्माण स्वीकृति, भू-उपयोग परिवर्तन भू-स्वामित्व के दस्तावेज पेश करें। इसके बाद कार्रवाई नहीं की गई और बहुमंजिला व्यावसायिक इमारत खड़ी हो गई।