राजस्थान सरकार के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा पंचायती राज संस्थाओं की सीमाओं को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया गया है। यह आदेश राज्य में नगर पालिका, नगर परिषद और नगर निगम के नवगठन, पुनर्गठन एवं पुनर्सीमांकन से संबंधित अधिसूचनाओं के संदर्भ में जारी किया गया है। आदेश के अनुसार ग्राम पंचायतों की स्थिति, उनके कार्यकाल, प्रतिनिधियों की मान्यता तथा पद रिक्ति की प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है।
पुनः सम्मिलित की गई ग्राम पंचायतें होंगी सक्रिय
जिन ग्राम पंचायतों को पूर्व में स्वायत्त शासन विभाग की अधिसूचना के आधार पर नगर निकायों की सीमा में शामिल किया गया था और अब नई अधिसूचनाओं के माध्यम से उन्हें पुनः पंचायत क्षेत्र में शामिल किया गया है, उनकी दो श्रेणियों में स्थिति स्पष्ट की गई है।
पहली श्रेणी में वे ग्राम पंचायतें हैं जिनका कार्यकाल पूर्ण हो चुका है। ऐसे मामलों में विभाग की अधिसूचना क्रमांक 05 दिनांक 16 जनवरी 2025 एवं अधिसूचना क्रमांक 200 दिनांक 11 मार्च 2025 के निर्देशानुसार वहां प्रशासक नियुक्त किया जाएगा तथा प्रशासकीय समिति गठित की जाएगी।
दूसरी श्रेणी में वे ग्राम पंचायतें आती हैं जिनका कार्यकाल अभी शेष है। उन्हें पूर्ववत पुनर्जीवित मानते हुए उनके निर्वाचित जनप्रतिनिधि कार्य करते रहेंगे।
वार्डों की स्थिति के अनुसार सदस्यों की वैधता निर्धारित
जिन पंचायत समिति अथवा जिला परिषद सदस्यों के पूरे वार्ड नगर निकाय क्षेत्र में सम्मिलित हो गए हैं, वे राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 101 (2) (घ) के अनुसार पद से हटे हुए माने जाएंगे।
वहीं जिन सदस्यों के वार्ड का केवल आंशिक हिस्सा नगर निकाय में सम्मिलित हुआ है, वे सदस्य यथावत बने रहेंगे और अपने दायित्वों का निर्वहन करते रहेंगे।
प्रधान और प्रमुख पदों पर रिक्ति की स्थिति में होगा नियमानुसार चयन
जिन सदस्यों के हटने से पंचायत समिति प्रधान अथवा जिला प्रमुख का पद रिक्त हुआ है, वहां पर राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 25 के अंतर्गत एवं विभागीय परिपत्र दिनांक 18 जून 2002 की पालना सुनिश्चित की जाएगी।
यह आदेश ग्रामीण विकास विभाग के उपायुक्त एवं उप शासन सचिव प्रथम इन्द्रजीत सिंह द्वारा अनुमोदित कर जारी किया गया है।
