मौसम में लगातार हो रहे बदलाव के बीच शुक्रवार दोपहर बाद तेज बरसात के साथ जिले में करीब पांच दर्जन से अधिक गांवों व कस्बों में ओलावृष्टि हुई। बिसाऊ मंडावा की तरफ जमीन पर बर्फ की चादर बिछ गई।
हालांकि कृषि विभाग ने प्रारंभिक रूप से 8 राजस्व ग्राम में 1740 हैक्टेयर में गेहूं, जौ, चना, मैथी व सरसों में 100 फीसदी नुकसान माना है। जबकि अन्य क्षेत्र में नुकसान का सर्वे शुरू करवा दिया है। बरसता व ओलावृष्टि से अधिकतम तापमान में 3.4 डिग्री की गिरावट हो गई।
मार्च महीने में एक के बाद एक लगातार पांचवां पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से गुरुवार को पौन घंटे तेज बरसात हुई।
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दिन में धूप निकली, लेकिन दोपहर बाद काले बादल छा गए और सवा तीन बजे के बाद बरसात का दौर शुरू हो गया। जिले मुख्यालय सहित चिड़ावा, बुहाना, मंडावा क्षेत्र में बैर व चने के आकार के ओले गिरे।
जिससे लालपुर, आबूसर, सिरियासर कलां, दुराना, चतरपुरा, चुद्रपुरा, सीतसर, चुड़ेला, कोलिंडा,दौलतपुरा, पाटोदा, लालपुर, आसर, हनुमानपुरा, रिजाणी, टोडरबास, सिरियासर कलां, दुराना, इस्लामुपर, कोलाली, सममरपुर, काली पहाड़ी, व दुर्जनपुरा में गेहूं, जौ, चना, मैथी व सरसों की सारी फसल नष्ट हो गई।
10 से 15 मिनट तक चने के आकार के गिरे ओलों के कारण कश्मीर और शिमला जैसे हालात बन गए। इस ओलावृष्टि के कारण खेतों में लगी फसल भी खराब हुई है तो पेड़- पौधों पर लगे फल-फूल भी खराब हो गए है।
दो दिन से झुंझुनूं इलाके में बारिश से खेती-बाड़ी बहुत अधिक चौपट हुई है। किसानों की करोड़ों की फसल खराबे में चली गई। गेहूं. जौ और सरसों सभी में नुकसान होने से किसानों की चिंता बढ़ी है।
ओलावृष्टि ने खेतों में खड़ी फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। तेज बारिश के साथ ओले गिरने से सड़क, मैदान और खेतों में सफेद चादर बिछ गई। 20 मिनट तक चने आकार के ओले गिरने से खेतों में पककर खड़ी गेहूं की फसलों की बालियां झड़ गई।