One Nation One Election वन नेशन वन इलेक्शन को मिली मंजूरी, जानिए कैसे बदल जाएगा वोटिंग का पूरा सीन

One Nation One Election: एक देश एक चुनाव को आज मोदी सरकार की कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है। रामनाथ कोविंद की रिपोर्ट को आज कैबिनेट ने मंजूरी दे दी जिसके बाद इसे अब आगे के लिए बढ़ाया जाएगा। हालांकि आगे अभी सरकार के लिए इसे पूरी तरह से लागू करना चुनौती होगा

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वन नेशन वन इलेक्शन के लिए एक कमेटी बनाई गई थी जिसके चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति राममानथ कोविंद थे। कोविंद ने अपनी रिपोर्ट इसपर आज मोदी कैबिनेट को दी जिसके बाद उसे सर्वसम्मति से मंजूर कर दिया गया। हालांकि इसके बाद आगे का सफर आसान नही होने वाला है। इसके लिए संविधान संशोधन और राज्यों की मंजूरी भी जरूरी है, जिसके बाद ही इसे लागू किया जाएगा।

शीतकालीन सत्र में लाया जा सकता है बिल


एक देश एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की रिपोर्ट को आज नरेंद्र मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। माना जा रहा है कि अब केंद्र सरकार इसे शीतकालीन सत्र में संसद में लाएगी। हालांकि, ये संविधान संशोधन वाला बिल है और इसके लिए राज्यों की सहमति भी जरूरी है। 2024 के आम चुनाव में बीजेपी ने वन नेशन वन इलेक्शन का वादा किया था।

क्या है ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’


वन नेशन-वन इलेक्शन का मतलब है कि भारत में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं। साथ ही स्थानीय निकायों के चुनाव भी एक ही दिन या एक तय समय सीमा में कराए जाएं। पीएम मोदी लंबे समय से वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत करते आए हैं। उन्होंने कहा था कि चुनाव सिर्फ तीन या चार महीने के लिए होने चाहिए, पूरे 5 साल राजनीति नहीं होनी चाहिए। साथ ही चुनावों में खर्च कम हो और प्रशासनिक मशीनरी पर बोझ न बढ़े।

आजादी के बाद एक साथ हो चुके हैं चुनाव


भारत के लिए यह कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है देश में आजादी के बाद से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए गए थे। 1952, 1957, 1962 और 1967 में दोनों चुनाव एक साथ हुए थे, लेकिन राज्यों के पुनर्गठन और अन्य कारणों से चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे।

कानून बनाने के लिए संसद में पास कराना होगा बिल

एक देश, एक चुनाव के लिए सबसे पहले सरकार को बिल लाना होगा. चूंकि ये बिल संविधान संशोधन करेंगे, इसके लिए ये तभी पास होंगे, जब इन्हें संसद के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिलेगा. यानी, लोकसभा में इस बिल को पास कराने के लिए कम से कम 362 और राज्यसभा के लिए 163 सदस्यों का समर्थन जरूरी होगा.संसद से पास होने के बाद इस बिल को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा का अनुमोदन भी जरूरी होगा. यानी, 15 राज्यों की विधानसभा से भी इस बिल को पास करवाना जरूरी है. इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्ष के बाद ही ये बिल कानून बन सकेंगे.

18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार


समिति ने 191 दिन तक राजनीतिक दलों तथा विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा के बाद 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की थी.आठ सदस्यीय समिति ने आम लोगों से भी राय आमंत्रित की थी. आम लोगों की तरफ से 21,558 सुझाव मिले. इसके अलावा 47 राजनीतिक दलों ने भी अपने राय और सुझाव दिए, जिनमें 32 ने इसका समर्थन किया था. कुल 80 प्रतिशत सुझाव ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के पक्ष में आए थे.

वन नेशन वन इलेक्शन से होगा आर्थिक विकास- BJP


BJP ने कहा, “वन नेशन वन इलेक्शन से देश में स्थिरता आएगी. इससे आर्थिक विकास में तेजी आएगी. एक राष्ट्र एक चुनाव से सत्ताधारी पार्टियों को शासन में फोकस करने, नीति निर्माण में सुधार करने में मदद मिलेगी. साथ ही इससे मतदान में बढ़ोतरी के रास्ते खुलेंगे. मतदान की प्रक्रिया भी आसान हो जाएगी. बार-बार चुनाव के बजाय एक ही बार में चुनाव कराने से पैसे और समय की बचत भी होगी.