Video News शहादत को सलाम : नायब सूबेदार शहीद देवकरण पंचतत्व में विलीन

शहीद नायब सूबेदार देवकरण की शहादत: शहीद के सम्मान में निकली तिरंगा यात्रा में लोगों ने अपने लाड़ले को किया नमन, देश भक्ति गीतों के साथ शहीद देवकरण अमर रहे के गगनभेदी जयकारे जारी, सूबेदार देवकरण आर्मी की 15वीं जाट रेजीमेंट यूनिट में थे तैनात

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झुंझुनूं के लाड़ले नायब सूबेदार शहीद देवकरण का अंतिम संस्कार पैतृक गांव बुरडक ढ़ाणी (कालियासर) में सैन्य सम्मान व रीति रिवाज से कर दिया। शहीद के 19 साल के बेटे निखिल व कुनाल ने मुखाग्नि दी। गमगीन माहौल में शहीद को अंतिम विदाई दी गई। सेना की टुकड़ी ने शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इससे पहले पार्थिव देह बुरड़क की ढ़ाणी पहुंची तो घर में कोहराम मच गया। शहीद की पत्नी अंजू अपने पति को तिरंगे में लिपटा देख बेसुध हो गई। शहीद के दोनों बेटों की आंखों से आंसू छलक पड़े। अपने पापा को सैल्यूट करते हुए शव से लिपट गए।

शहीद की अंतिम यात्रा में सांसद नरेंद्र सिंह खीचड़, मण्ड़ावा विधायक रीटा चौधरी, जिला कलेक्टर लक्ष्मण सिंह कुडी, एसपी मृदुल कच्छावा, डिप्टी रोहिताश दवेन्दा, भाजपा नेता प्यारेलाल ढूकियां सहित प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि व बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

नायब सूबेदार देवकरण सिंह बुड़बक भारतीय सेना की 15वीं जाट रेजीमेंट कार्यरत थे । उनकी तैनाती ऑपरेशन रक्षक के तहत कारगिल के बाल्टिक सेक्टर में 18 हजार की ऊंचाई से भी अधिक के क्षेत्र में थी । ड्यूटी के दौरान 13 फरवरी को ऊंचाई में सांस लेने में परेशानी हुई और बेहोश हो गए थे इस दौरान उन्हें सैन्य हेलीकॉप्टर से कारगिल के सैन्य अस्पताल में इलाज प्राथमिक इलाज के लिए लाया गया तथा बाद में उधमपुर के कमांड हॉस्पिटल में एयर लिफ्ट किया गया । वही इलाज के दौरान 19 फरवरी को उन्होंने दम तोड़ दिया ।
शहीद देवकरण के पिता भी भारतीय सेना से रिटायर्ड हैं । वह तीन भाइयों में दूसरे नंबर के थे । उनके बड़े भाई संजय सिंह भी आर्मी से रिटायर्ड हैं और फिलहाल सेना सुरक्षा कोर में कार्यरत हैं जबकि छोटा भाई अनिल भी आर्मी में तैनात है ।

शहीद के सम्मान में मलसीसर से उनके पैतृक गांव तक तिरंगा यात्रा निकाली गई एवं जगह-जगह पर पुष्प वर्षा से शहीद का सम्मान किया गया । तिरंगा यात्रा में बड़ी संख्या में युवा और आसपास के ग्रामीण तथा जनप्रतिनिधि शामिल हुए । शहीद देवकरण का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव बुरड़क की ढाणी पहुंचा तो गांव का माहौल गमगीन हो गया ।