21 Crore ka Mayra राजस्थान नागौर के मारवाड़ क्षेत्र में एक अनोखी परंपरा है, जहां बेटियां अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मांगती हैं. इसके बावजूद, पिता और भाई बहनों को देने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. इस क्षेत्र में एक अनूठी प्रथा है ‘मायरा’, जिसमें पिता और भाई बहन को दिल खोलकर देते हैं. संपत्ति के बंटवारे में बेटों को ही अधिकार दिया जाता है, लेकिन इसमें बेटियों की सहमति भी शामिल होती है. यह परंपरा बेटियों के प्रति प्यार और सम्मान को दर्शाती है.
जायल तहसील के झाडेली गांव की बेटी कमला के बच्चों की शादी में नाना द्वारा दिया गया मायरा ऐतिहासिक रहा। इस मौके पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और हरियाणा प्रभारी डॉ. सतीश पूनिया, और राजस्थान किसान आयोग के अध्यक्ष सी.आर. चौधरी भी मौजूद रहे।
नागौर में इतिहास का सबसे बड़ा 21 करोड़ से अधिक का मायरा
नागौर में झाड़ेली के पोटलिया परिवार ने डेह गांव के BJP पूर्व प्रदेश महामंत्री जगबीर छाबा परिवार के यहां 21 करोड़ से अधिक का मायरा भरा है। जिसमें 1 करोड़ 51 लाख रोकड़, 1 किलो सोना, 15 किलो चांदी, 211 बीघा जमीन, एक पेट्रोल पंप, एक प्लॉट मिलाकर 21 करोड़ से अधिक का मायरा भर कर एक नया इतिहास रच दिया है।
क्या होता है मायरा
बहन के बच्चों की शादी होने पर ननिहाल पक्ष की ओर से मायरा भरा जाता है। इसे भात भी कहते हैं। इस रस्म में ननिहाल पक्ष की ओर से बहन के बच्चों के लिए कपड़े, गहने, रुपए और अन्य सामान दिया जाता है। इसमें बहन के ससुराल पक्ष के लोगों के लिए भी कपड़े और जेवरात आदि होते हैं।