भारतीय रिजर्व बैंक ने ऋणदाताओं से 25 लाख रुपये और उससे अधिक की बकाया राशि वाले सभी गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) खातों में विलफुल डिफॉल्टरों की जांच करने को कहा है और कहा है कि यह प्रक्रिया छह महीने में पूरी होनी चाहिए। नए मानदंड 90 दिनों के बाद यानी 1 नवंबर 2024 से लागू होंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट (Fraud Risk Management) को लेकर एक बड़ा फैसला किया है. आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशों को शामिल करने के लिए बैंकिंग से जुड़े गाइडलाइन में बदलाव किया है. इसके तहत अब बैंक को किसी अकाउंट को डिफॉल्टर कैटेगरी में डालने से पहले कर्जदारों का पक्ष सुनना होगा.
विलफुल डिफॉल्टर क्या है?
विलफुल डिफॉल्टर वह व्यक्ति या संस्था है जो जानबूझकर बैंक का कर्ज नहीं चुकाता, जबकि उसके पास भुगतान करने की क्षमता होती है। भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, 25 लाख रुपये या उससे अधिक का कर्ज न चुकाने वाले व्यक्ति को विलफुल डिफॉल्टर की श्रेणी में रखा जाता है।
मनमाने तरीके से खातों को नहीं कर पाएंगे डिफॉल्टर घोषित
इससे पहले लोन लेने वालों से रिकवरी के नाम पर कुछ नोटिस भेजकर बैंक अक्सर उनको डिफॉल्टर घोषित कर देता था. हालांकि अब लेंडर मनमाने तरीके से खातों को डिफॉल्टर नहीं घोषित कर पाएंगे. आरबीआई ने सभी ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को साफ कह दिया है कि किसी भी बकायदार को एक तरफा डिफॉल्ट घोषित नहीं किया जा सकेगा और कर्जदारों को अपनी सफाई पेश करने का मौका दिया जाएगा.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक लोन चुकाने वालों के लिए नए नियम जारी किए हैं:
• इन नए नियमों के मुताबिक, 25 लाख रुपये या उससे ज़्यादा की बकाया राशि वाले सभी गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) खातों में विलफुल डिफ़ॉल्टरों की जांच करनी होगी.
• इस जांच को छह महीने के अंदर पूरा करना होगा.
• अगर जांच में कोई गड़बड़ी मिलती है, तो खाते को एनपीए घोषित करने के छह महीने के अंदर उधारकर्ता को विलफुल डिफ़ॉल्टर घोषित किया जाएगा.
• विलफुल डिफ़ॉल्टरों की लिस्ट में सिर्फ़ 25 लाख रुपये या उससे ज़्यादा का कर्ज़ रखने वाले लोगों को ही शामिल किया जाएगा.
• विलफुल डिफ़ॉल्टरों को दोबारा लोन लेने में कई मुश्किलें आ सकती हैं.
• इन नियमों के तहत, नया लोन लेने से पहले पुराने एनपीए खाते को निपटाना ज़रूरी होगा.
• लोन की पुनर्गठन (रिस्ट्रक्चरिंग) की सुविधा नहीं मिलेगी.
• डिफ़ॉल्टर व्यक्तियों या संस्थाओं को कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए कम से कम 21 दिन का समय देना होगा.