किसानों के लिए बड़ी खबर, सरकार बढ़ा सकती है क्रेडिट कार्ड लोन की लिमिट

Kisan Credit Card: किसानों के लिए अच्छी खबर आ रही है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) कर्ज लिमिट को बढ़ाने पर विचार कर रही है।

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दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन वित्तीय सेवा विभाग, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) कर्ज की सीमा बढ़ाने और बटाईदार किसानों के लिए आत्मनिर्भर निधि (पीएम-स्वनिधि) जैसी योजना शुरू करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

वर्तमान में KCC योजना के तहत अधिकतम क्रेडिट सीमा ₹3 लाख है और इस योजना के तहत उधारी का कुल बकाया ₹9.81 लाख करोड़ है. केंद्र सरकार इस योजना पर 2% की ब्याज सबवेंशन और 3% का समय पर चुकता करने पर प्रोत्साहन प्रदान करती है

इसके तहत KCC लोन की सीमा को तीन या चार साल पहले निर्धारित की गई सीमा से बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार एक नई योजना को भी लागू करने पर विचार कर रही है जो PM-SVANidhi (आत्मनिर्भर निधि) योजना की तरह ही किरायेदार किसानों के लिए होगी.

सीआईआई फाइनांसिंग 3.0 समिट में वित्तीय सेवा विभाग के अतिरिक्त सचिव एमपी तंगीराला ने कहा “हम किसान क्रेडिट कार्ड लोन की सीमा बढ़ाने की योजना पर काम कर रहे हैं, जो तीन या चार साल पहले निर्धारित की गई थी. हमें लगता है कि इसे अपडेट करने की आवश्यकता है.”

Kisan Credit Card में मिलता है 3 लाख तक का लोन


1998 में शुरू की गई किसान क्रेडिट कार्ड लोन योजना के तहत अधिकतम 3 लाख रुपए तक का लोन किसानों को दिया जाता है. देश भर में केसीसी खातों का बकाया कर्ज 9.81 लाख करोड़ रुपए है. उन्होंने कहा कि स्ट्रीट वेंडर्स के लिए शुरू की गई पीएम स्ट्रीट वेंडर्स की आत्मनिर्भर निधि की सफलता को देखते हुए, विभाग किराए की जमीन पर खेती करने वालों के लिए भी इसी तरह की योजना लाने पर मंत्रालय के साथ बातचीत कर रहा है.

एडिशनल सेक्रेटरी ने एग्रीकल्‍चर सेक्‍टर के दायरे को फिर से डिफाइन करने की जरूरत जताते हुए खेती-किसानी से जुड़ी कई और गतिविधियों को भी इसमें शामिल करने की जरूरत बताई. इन चीजों के लिए फिलहाल केवल 12% लोन ही मिल रहा है. तंगीराला ने कहा कि कृषि बीमा का दायरा भी काफी सीमित है. इसके साथ ही उन्होंने क्षेत्रीय असंतुलन को ठीक करने की आवश्यकता की ओर भी इशारा किया. उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर राज्यों में दक्षिणी राज्यों की तुलना में कृषि लोन का जीवीए अनुपात कम है.