अंगपाल जांगिड़ की लोकसभा चुनाव के दौरान असम के गुवाहाटी में ड्यूटी लगी थी, जहां हृदय गति रुक जाने की वजह से उनका निधन हो गया था। शहीद के शव को लेकर बीएसएफ की 162वीं बटालियन की टुकड़ी आज सुबह पिलानी पहुंची थी, जहां से गांव तक तिरंगा यात्रा के साथ शव को बनगोठड़ी लाया गया।
बनगोठड़ी गांव में सीमा सुरक्षा बल की टुकड़ी द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
पार्थिव शरीर शनिवार सुबह बीएसएफ की 162वीं बटालियन की टुकड़ी पिलानी लेकर पहुंची। तिरंगा यात्रा के साथ शव को बनगोठड़ी गांव लाया गया। तिरंगे में लिपटा शव घर पहुंचा तो मां और पत्नी सुमन (38) बेसुध हो गईं

पिलानी से बनगोठड़ी 12 किलोमीटर तक निकली तिरंगा यात्रा, सैन्य सम्मान के साथ दी अंतिम विदाई, दिव्यांग बेटे ने दी शहीद को मुखाग्नि, सीमा सुरक्षा बल की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इस दौरान वहां मौजूद ग्रामवासी देर तक देशभक्ति के नारे लगाते रहे। क्षेत्रीय विधायक पितराम सिंह काला ने भी श्रद्धांजलि दी।
1998 में बीएसएफ में हुए थे भर्ती
अंगपाल जांगिड़ बीएसएफ की 162 बटालियन में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे और वे छत्तीसगढ़ में पदस्थ थे। उन्होंने 1998 में फोर्स ज्वॉइन की थी। परिवार में पत्नी सुमन (38 वर्ष) गृहिणी हैं, दिव्यांग बेटा आशीष (19 वर्ष) और बेटी मितल (16 वर्ष) हैं। शहीद जवान अंगपाल जांगिड़ के पिता नंदलाल जांगिड़ भी बीएसएफ में हवलदार के पद से रिटायर हुए हैं।
